Jaal - 1 in Hindi Love Stories by Rahul books and stories PDF | .... जाल - 1

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.... जाल - 1

........... कैसी हो तुम..?
मैं ठीक हूं. कहते हुए नीलिमा ने ,नारंग के सवाल का जवाब दे दिया।
आजकल व्यस्त रहने लगी हो..?
नीलिमा..?
हा..यार अब इन बातों में मन नहीं रहा..
काम का प्रेशर इतना है कि ,
बहुत समय कम मिल पाता है।
हम बाद में बात करते है....कहते हुए नीलिमा ने नारंग से विदा ली।
"नीलिमा", बेहद ही महत्त्वाकांक्षी और संवेदन शील व्यक्तित्व की "धनी" होने के साथ साथ अपने सपनो की ,उड़ान को किसी भी स्तर पर हासिल करने का जज्बा रखने वाली लड़की थी।परिश्रम के तौर पर आज उसने बड़ा मुकाम हासिल किया था।
वही दूसरी ओर नारंग मस्तमौला किस्म का युवक था।
दोनों में गहरी दोस्ती थी।
दिन बीतते जाते है।
और हर एक कहानी की तरह भी इसमें , नारंग को नीलिमा से प्यार हो जाता है।
मगर नीलिमा कोई पहली लड़की नही थी जिसके लिए यह भावनाए नारंग के मन में उमड़ी हो।आज तक उसने न जाने कितने ही लड़कियों को भरोसा दिलाया था की वह सिर्फ उनका है।
मगर बोलने की कला और दिखावा करने की आदत से लड़किया उसपे मोहित ही हो जाती थी ।
और यही उसकी सबसे बड़ी कला समझता था।
उसका व्यक्तित्व उस स्तर का प्रतिनिधित्व करता था,
जहां किसी भी रिश्ते की कीमत करना कोई मुश्किल काम नहीं।
नीलिमा को उसकी बाते अच्छी लगने लगी थी।
मानो,उसकी आंखे नारंग के सिवा कुछ देख ही न पा रही हो।
दिन भर काम काम खत्म हो जाने के बाद वह घर आती है।
वह चाय की शौकीन थी।
चाय उसे बेहद पसंद थी।
बाहर बारिश की हल्की हल्की बूंदे गिर रही थी,
उसने अपना चाय का कप उठाया ,
और बरामदे में आकर कुर्सी पर बैठ गई।
चाय की चुस्की के साथ बाहर हो रही बारिश और मोबाइल में गाना चल रहा था , रिम झीम गिरे सावन ,सुलग सुलग जाए मन.
मधुर संगीत,के ताल पर उसका मन भी उसमे समाने लगा था।
उसे अपना बचपन याद आने लगा था।
कैसे वो बारिश के मौसम में खेतो में काम करने जाया करते थे।खेती बाड़ी और बारिश का मौसम यह सब बाते उसके जहन में आने लगी थी।याद और बारिश के बुंदो की आवाज ,साथ ही संगीत इससे वो जरा सी खो गई।
और हो भी क्यों न,?
उसे बारिश में भीगना,बारिश बेहद पसंद थी।
मोबाइल का नोटिफिकेशन बजता है.....
लगातार तीन बार.
मेज पर रखे मोबाइल के स्क्रीन पर नारंग का मेसेज होता है।
हेलो ......
जी......
गुड इवनिंग...,
नीलिमा भी उसे अभिवादन करती है।और बातचीत का सिलसिला शुरू हो जाता है।
कुछ इधर उधर की बाते हो जाती है।
उसमें किसी को मोहित करने की कला थी।
जिसका प्रतिबिंब अब साफ नजर आने लगा था।
ऐसे ही दिन महीने बीतते चले जाते है।बातों का नयापन खत्म होने लगते है।

ऑफिस में नया प्रोजेक्ट आ जाता है।
जिसका हेड नीलिमा को नियुक्त किया जाता है।
अगर यह प्रोजेक्ट तय सीमा में पूरा हो जाता है तो ,
बहुत ज्यादा संभावनाएं थी की,
नीलिमा को बढ़ोतरी के साथ साथ कंपनी के और से अतिरिक्त सुविधाएं भी मिलने वाली थी।कुछ दिन वो आपने पूरे काम में व्यस्त हो जाती है।
खुद को साबित करने का उसे आज अच्छा मौका मिला था।अपनी काबिलियत पर उसे पूरा यकीन था।
यथावकाश प्रोजेक्ट पूरा हो जाता है।
मगर जो वक्त उससे छूटा था उसमें बहुत कुछ घटित हो जाता है।
धीरे धीरे नीलिमा खुद को काम में व्यस्त कर लेती है।